दिल्ली व्यूरो
जयपुर: राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी अभी से जीत का दम भी भर रही है। लेकिन पिछले पांच राज्यों के चुनावी नतीजों को देखते हुए यह इतना आसान भी नहीं है। शायद इस सच से कांग्रेस आलाकमान भी वाकिफ है। और यही कारण है कि राजस्थान में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए सचिन पायलट की कथित मांग पर मुहर लगाई जा सकती है। कहा जा रहा है कि 2023 के चुनाव की रणनीति को लेकर हाल ही पायलट ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इसी मुलाकात में सचिन पायलट की ओर से मुख्यमंत्री बनने की बात कही गई। यह भी चर्चा है कि सत्ता में वापसी के लिए पार्टी के पास सचिन पायलट की इस मांग को मानने के अतिरिक्त कोई दूसरा विकल्प नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक यह भी दावा कर रहे हैं कि प्रदेश में पार्टी का चेहरा तय करने में यदि देर होती है तो पंजाब जैसा हाल राजस्थान में भी हो सकता है। सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट के हाल ही दिल्ली दौरों में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी से हुई मुलाकात सकारात्मक रही हैं। बातचीत में क्या कुछ हुआ? इसके इतर पायलट के समर्थकों में इन दिनों नया जोश नजर आ रहा है। एक दिन पहले पायलट जब करौली पहुंचे तो गंगापुर सिटी में उनके स्वागत में जन सैलाब उमड़ा पड़ा। पायलट समर्थकों के भीड़ की तस्वीरों ने गहलोत खेमे की धड़कने भी बढ़ा दी है।
राजस्थान के नेताओं से सोनिया गांधी की पिछले हफ्ते हुई मुलाकातों में सबसे ज्यादा ध्यान सचिन पायलट की मुलाकात ने खिंचा। पायलट जब सोनिया से मिलकर लौटे तो उनकी बॉडी लैंग्वेज सबकुछ बयां कर रही थी। बड़े उत्साह के साथ पायलट ने कहा कि राजस्थान में पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए फिर से सत्ता में आने का लक्ष्य हासिल करने के लिए रणनीति पर विचार किया है। उन्होंने कहा,मैंने इस बारे में बात की कि कैसे हमें इस परिपाटी को तोड़ने और राजस्थान में सत्ता में लौटने की जरूरत है। मैंने वास्तव में कड़ी मेहनत की है और पार्टी को आगे का रास्ता देखना चाहिए।’ यहां पायलट ने आलाकमान की प्रदेश नेतृत्व को लेकर उनकी शिकायतों पर लिए एक्शन पर संतुष्टि जाहिर की।
साेनिया गांधी से मुलाकात के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पायलट ने आलाकमान को दो टूक में गहलोत को हटाने की बात कही है। इन रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पायलट ने सोनिया गांधी पर ही अपनी भूमिका पर भी निर्णय छोड़ दिया है। हालांकि यह साफ कहा है कि ‘मैंने हमेशा किसी भी भूमिका में काम करने तो तैयार हूं, लेकिन यह स्पष्ट है कि मैं अपनी कर्मस्थली राजस्थान पर फोकस करना चाहूंगा।’
राजस्थान में विधानसभा चुनाव अगले साल दिसंबर में हैं। लेकिन अभी से प्रदेश में सियासी माहौल गरमा चुका है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दौरा, गृहमंत्री अमित शाह की प्रस्तावित रैली के बीच अब कांग्रेस भी अगले महीने उदयपुर में चिंतन शिविर करने जा रही है। इस शिविर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शामिल होने हैं। लेकिन इससे पहले प्रशांत किशोर की एंट्री और उनकी युवा शक्ति को आगे बढ़ाने की दलील ने सचिन पायलट की भूमिका पर चर्चाओं को भी हवा दे दी। अब यह भी कहा जा रहा है कि इसी चिंतन शिविर में पायलट को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। अब 13 से 15 मई को होने वाले शिविर पर ही सबकी निगाहें टिकी हैं। देखना होगा कि राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में पायलट की लैंडिंग होगी या नहीं? यदि होगी तो इसमें जादूगरी किसकी होगी?